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बाल झड़ने की समस्या और आयुर्वेदिक उपचार (Hair Fall in Ayurveda) बाल झड़ना (केशपात) आज के समय में एक आम समस्या बन गई है। आयुर्वेद में बालों की सेहत को शरीर के तीन दोषों (वात, पित्त, और कफ) के संतुलन से जोड़ा गया है। जब इन दोषों में असंतुलन होता है, तो इसका असर बालों की जड़ों और स्कैल्प पर पड़ता है, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। बाल झड़ने के लक्षण (Symptoms of Hair Fall) 1. बालों का पतला होना: धीरे-धीरे बालों का घनत्व कम हो जाना। 2. गंजापन (Bald Patches): सिर के कुछ हिस्सों पर बालों का गायब होना। 3. कंघी करते समय बालों का टूटना: सामान्य से अधिक बालों का टूटना। 4. स्कैल्प का सूखा और परतदार होना: खुजली और रूसी का बनना। 5. बालों का समय से पहले सफेद होना: युवावस्था में ही बालों का सफेद होना। 6. जड़ों का कमजोर होना: हल्के खिंचाव पर भी बाल टूट जाना। बाल झड़ने के कारण (Causes of Hair Fall in Ayurveda) 1. पित्त दोष का असंतुलन: तीखा, तला-भुना और मसालेदार भोजन अधिक खाना। अत्यधिक तनाव और गुस्सा। 2. वात दोष का असंतुलन: शारीरिक कमजोरी और पोषण की कमी। बालों की सही देखभाल का अभाव। 3. कफ दोष का प्रभाव...
❤️❤️ चूना:- (Pan ke saath Khane wala) 💜चूना अकेले ही 70 बीमारियां ठीक करता है 💚गेंहू के दाने के बराबर चूना,गन्ने के रस में, गुड़ में आदि सर्वोत्तम है 💚खाली पेट चुना खाये तो सबसे अधिक लाभ है, रस या गुड़ के साथ 💚खून की कमी हो,तो अनार के रस में चूना मिलाकर खाये 💚जिस किसी को पीलिया हो, गन्ने के रस में गेंहू के दाने के बराबर प्रतिदिन चुना दे, पीलिया बहुत जल्दी ठीक होता है 💚अगर किसी को लीवर मे सुजन आ जाए तो चुने से सबसे जल्दी ठीक होता है 💚जिन्होंने शराब पी पी के अपने लीवर खराब कर लिए है, उनकी सबसे अच्छी दवा चुना है 💚यदि गन्ने का रस ना हो तो गुड़ में मिलाकर चूना दे 💚जिन बच्चों की लंबाई नही बढ़ रही हो, उन्हें गन्ने के रस या गुड़, या दाल या दही या फिर हल्के गुनगुने पानी में गेंहू के दाने के बराबर चूना दे, 1 साल तक 💚जो बच्चे दिमाग से थोड़े कमजोर बच्चे होता है या जो देर मे सुनते औऱ समझते है,या देर में चलना सीखते है उन्हें भी 2 साल लगातार चूना दे 💚जो बच्चे बहुत कमजोर है, जिनकी हड्डियाँ दिखाई देती है, ऐसे बच्चो के लिए चुना सबसे अच्छी दवा है 💚किसी को भी दांत मे...
पीठ दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार पीठ दर्द आज के समय में एक आम समस्या बन गई है, जिसका सामना युवा और बुजुर्ग सभी को करना पड़ रहा है। आधुनिक जीवनशैली, शारीरिक श्रम की कमी, गलत मुद्रा (पोश्चर) और तनाव इस समस्या के मुख्य कारण हैं। आयुर्वेद, जो कि एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, इस समस्या का प्राकृतिक और स्थायी समाधान प्रदान करता है। पीठ दर्द के कारण आयुर्वेद के अनुसार, पीठ दर्द मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। वात दोष शरीर में गति और लचीलापन बनाए रखता है, लेकिन जब यह असंतुलित हो जाता है तो जोड़ों, नसों और मांसपेशियों में सूजन और दर्द उत्पन्न होता है। इसके अलावा, पाचन तंत्र की कमजोरी, अनुचित खानपान और मानसिक तनाव भी पीठ दर्द का कारण बनते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उपचार आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य शरीर में वात, पित्त और कफ के संतुलन को बनाए रखना है। पीठ दर्द के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपाय प्रभावी माने जाते हैं: 1. अभ्यंग (तेल मालिश): अभ्यंग या तेल मालिश आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति है। नियमित रूप से तिल का ते...
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