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Pain: कारण, सावधानियाँ और आयुर्वेदिक उपचार" "कमर दर्द से राहत कैसे पाएं? जानिए सम्पूर्ण समाधान"

 कमर दर्द (Pain) आज के समय में बहुत आम समस्या है, जो उम्र, जीवनशैली, पोषण की कमी, गलत बैठने के तरीके, ज्यादा वजन, नसों की कमजोरी या किसी रोग (जैसे सायटिका, स्लिप डिस्क, गठिया आदि) के कारण हो सकता है। आयुर्वेद में इसे "कटिशूल", "त्रिकशूल" या "वातजन्य वेदना" कहा जाता है और इसका मुख्य कारण वात दोष माना गया है। यहाँ आयुर्वेद में कमर दर्द के लिए संभावित उपचारों का विस्तार से विवरण है: 🌿 1. औषधीय उपचार (Herbal/Ayurvedic Medicines) ✅ आंतरिक औषधियाँ (Internal Medicines):  •महायोगराज गुग्गुलु– वात दोष को शांत करता है, जोड़ों व नसों के दर्द में लाभकारी। •त्रयोदशांग गुग्गुलु – कमर और पैर के दर्द, सायट\दशमूल क्वाथ/अरिष्ट – वातशामक, सूजन व दर्द में राहत देता है। अश्वगंधा चूर्ण – बलवर्धक व वातनाशक। रास्नादी क्वाथ – शरीर के वात रोगों में विशेष लाभदायक। अभयारिष्ट / अश्वगंधारिष्ट – कमजोरी, गैस और वात समस्याओं के कारण होने वाले कमर दर्द में लाभकारी। - - 🌿 2. बाह्य उपचार (External Therapies) ✅ पंचकर्म चिकित्सा: 1. कटि बस्ती – यह एक विशेष चिकित्सा है जिसमें कमर पर आटे क...

आयुर्वेद ज़्यादा तेल से तौबा Why does Ayurveda say to avoid excess oil?Where there is moderation, there is health -

 आयुर्वेद क्यों कहता है ज़्यादा तेल से तौबा करें? - जहाँ संयम है, वहीं स्वास्थ्य का संगम है - भारतीय रसोई घरों में तेल की महक केवल स्वाद नहीं लाती, बल्कि भावनाओं की भी परतें खोलती है। गरमा-गरम पराठे, सब्ज़ी में तड़का, और त्योहारों के पकवान इन सबमें तेल एक अहम भूमिका निभाता है। लेकिन यही तेल जब हद से ज़्यादा हो जाए, तो यह स्वाद से ज़्यादा रोग का कारण बन सकता है। आयुर्वेद में तेल को 'स्निग्ध' तत्व माना गया है, यानी वह जो शरीर को चिकनाई, ऊर्जा और पोषण देता है। लेकिन यही स्निग्धता अगर 'अतिस्निग्ध' बन जाए, यानी ज़रूरत से ज़्यादा, तो यह दोषों को बिगाड़ देती है खासकर कफ और पित्त दोष को। आयुर्वेद तेल को क्यों सीमित मात्रा में खाने की सलाह देता है? 1. जठराग्नि को धीमा करना तेल की अधिकता शरीर की जठराग्नि को मंद कर देती है -यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इससे भोजन अच्छे से नहीं पचता और 'आम' (विषैले अपचित तत्व) बनता है। 2. कफ दोष में वृद्धि बहुत ज़्यादा तले हुए व भारी तेलीय पदार्थ कफ को बढ़ाते हैं, जिससे नज़ला, खांसी, एलर्जी, वजन बढ़ना और आलस्य जैसे लक्षण पैदा होते हैं। ...