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बाल झड़ने के कारण और आयुर्वेदिक हर्बल उपचार Hair loss causes and ayurvedic herbal treatment

                                          बाल झड़ने के कारण और आयुर्वेदिक हर्बल उपचार                                     Hair loss causes and ayurvedic herbal treatment आजकल बाल झड़ना एक आम समस्या बन चुकी है। पुरुष हों या महिलाएँ, लगभग हर कोई इस समस्या से परेशान है। गलत खान-पान, तनाव, प्रदूषण और केमिकलयुक्त उत्पादों के कारण बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे बाल गिरने लगते हैं। आधुनिक जीवनशैली में यह समस्या और भी बढ़ जाती है। परंतु आयुर्वेद और हर्बल उपायों के माध्यम से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। बाल झड़ने के मुख्य कारण 1. तनाव (Stress): लगातार चिंता और तनाव से शरीर का संतुलन बिगड़ता है और बालों की ग्रोथ पर असर पड़ता  हैं। 2. गलत आहार: विटामिन, मिनरल और प्रोटीन की कमी से बाल कमजोर होकर झड़ने लगते हैं। 3. हार्मोनल असंतुलन: महिलाओं में गर्भावस्था, प्रसव और मेन...

Pain: कारण, सावधानियाँ और आयुर्वेदिक उपचार" "कमर दर्द से राहत कैसे पाएं? जानिए सम्पूर्ण समाधान"

 कमर दर्द (Pain) आज के समय में बहुत आम समस्या है, जो उम्र, जीवनशैली, पोषण की कमी, गलत बैठने के तरीके, ज्यादा वजन, नसों की कमजोरी या किसी रोग (जैसे सायटिका, स्लिप डिस्क, गठिया आदि) के कारण हो सकता है। आयुर्वेद में इसे "कटिशूल", "त्रिकशूल" या "वातजन्य वेदना" कहा जाता है और इसका मुख्य कारण वात दोष माना गया है। यहाँ आयुर्वेद में कमर दर्द के लिए संभावित उपचारों का विस्तार से विवरण है: 🌿 1. औषधीय उपचार (Herbal/Ayurvedic Medicines) ✅ आंतरिक औषधियाँ (Internal Medicines):  •महायोगराज गुग्गुलु– वात दोष को शांत करता है, जोड़ों व नसों के दर्द में लाभकारी। •त्रयोदशांग गुग्गुलु – कमर और पैर के दर्द, सायट\दशमूल क्वाथ/अरिष्ट – वातशामक, सूजन व दर्द में राहत देता है। अश्वगंधा चूर्ण – बलवर्धक व वातनाशक। रास्नादी क्वाथ – शरीर के वात रोगों में विशेष लाभदायक। अभयारिष्ट / अश्वगंधारिष्ट – कमजोरी, गैस और वात समस्याओं के कारण होने वाले कमर दर्द में लाभकारी। - - 🌿 2. बाह्य उपचार (External Therapies) ✅ पंचकर्म चिकित्सा: 1. कटि बस्ती – यह एक विशेष चिकित्सा है जिसमें कमर पर आटे क...

आयुर्वेद ज़्यादा तेल से तौबा Why does Ayurveda say to avoid excess oil?Where there is moderation, there is health -

 आयुर्वेद क्यों कहता है ज़्यादा तेल से तौबा करें? - जहाँ संयम है, वहीं स्वास्थ्य का संगम है - भारतीय रसोई घरों में तेल की महक केवल स्वाद नहीं लाती, बल्कि भावनाओं की भी परतें खोलती है। गरमा-गरम पराठे, सब्ज़ी में तड़का, और त्योहारों के पकवान इन सबमें तेल एक अहम भूमिका निभाता है। लेकिन यही तेल जब हद से ज़्यादा हो जाए, तो यह स्वाद से ज़्यादा रोग का कारण बन सकता है। आयुर्वेद में तेल को 'स्निग्ध' तत्व माना गया है, यानी वह जो शरीर को चिकनाई, ऊर्जा और पोषण देता है। लेकिन यही स्निग्धता अगर 'अतिस्निग्ध' बन जाए, यानी ज़रूरत से ज़्यादा, तो यह दोषों को बिगाड़ देती है खासकर कफ और पित्त दोष को। आयुर्वेद तेल को क्यों सीमित मात्रा में खाने की सलाह देता है? 1. जठराग्नि को धीमा करना तेल की अधिकता शरीर की जठराग्नि को मंद कर देती है -यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इससे भोजन अच्छे से नहीं पचता और 'आम' (विषैले अपचित तत्व) बनता है। 2. कफ दोष में वृद्धि बहुत ज़्यादा तले हुए व भारी तेलीय पदार्थ कफ को बढ़ाते हैं, जिससे नज़ला, खांसी, एलर्जी, वजन बढ़ना और आलस्य जैसे लक्षण पैदा होते हैं। ...

Ayurvedic upchar

  Joint pain, arthritis, rheumatism, gout, sciatica, paralysis and bone weakness * बहुत से व्यक्ति जॉइन्ट पैन, गठिया, संधिवात, आमवात, वातरक्त, साइटिका, लकवा और हड्डियों की कमजोरी आदि के लिए शक्तिशाली योग बनाए और लाभ प्राप्त करें।* 🔹 वृहद वात चिंतामणि रस - 500 mg 🔹 शुद्ध कुचला चूर्ण - 500 mg 🔹 महायोगराज गुग्गुलु - 20 ग्राम 🔹 लक्षादी गुग्गुलु - 15 ग्राम 🔹 त्रयोदशांग गुग्गुलु - 15 ग्राम 🔹 अभ्रक भस्म (शतपुटी) - 3 ग्राम 🔹 गोदंती भस्म - 3 ग्राम 🔹 शुद्ध शिलाजीत - 5 ग्राम 🔹 अश्वगंधा चूर्ण - 10 ग्राम 🔹 गिलोय सत्व - 5 ग्राम 🔹समीर पन्नग रस 500mg 🔹रासना चुर्ण 5ग्राम  🔹शंख भस्म 5ग्राम  👉 सभी औषधियों को अच्छी तरह पीसकर महीन चूर्ण बना लें और एकसार कर लें। 👉 इसे कांच या मिट्टी के पात्र में सुरक्षित रखें। 👉 छोटे 250 mg (2 रत्ती) की गोलियां बना सकते हैं या चूर्ण रूप में भी रख सकते हैं। *💊 सेवन विधि* 🔸 1 गोली (250 mg) सुबह-शाम, भोजन के बाद गुनगुने दूध या गर्म पानी के साथ लें। 🔸 तीव्र दर्द में – साथ में अश्वगंधा अर्क 10 ml और दशमूलारिष्ट 10 ml लें। 🔸 अधिक वात विकार या सूज...

मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान /Advantages and disadvantages of drinking fenugreek water –

  मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान – मेथी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग शायद आप सभी करते हैं। लेकिन मेथी का पानी पीने के फायदे भी कम नहीं हैं,  यह मेथी में मौजूद पोषक तत्‍वों को ग्रहण करने का यह सबसे अच्‍छा तरीका है। मेथी का पानी पीने से कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है। मेथी का पानी पीने के लाभ विशेष रूप से वजन कम करने में, रक्‍त शर्करा नियंत्रित करने में, रक्‍त चाप नियंत्रित करने में, पाचन को ठीक करने, पथरी का इलाज करने आदि में होते हैं। इस आर्टिकल में आप मेथी का पानी पीने के फायदे और नुकसान जानेगें। आइए इन्‍हें जाने। प्रकृति में गर्म होने के कारण मेथी के दानों का उपयोग भोजन पकाने के दौरान बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। यहां तक की औषधीय उपयोग में भी मेथी की कम मात्रा ली जाती है। लेकिन मेथी के औषधीय गुणों की भरपूर मात्रा प्राप्‍त करने के लिए मेथी के पानी का उपयोग भी किया जाता है।  1 कप मेथी का पानी बनाने के लिए 1 छोटा चम्‍मच मेथी पर्याप्‍त होती है। इस पानी का सेवन सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए साथ इस पानी को गर्म करना अतिरिक्‍त लाभ दिला ...

आयुर्वेद में गठिया (आर्थराइटिस) का उपचार

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       आयुर्वेद में गठिया (आर्थराइटिस) का उपचार गठिया (Arthritis) एक आम लेकिन दर्दनाक बीमारी है, जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, जकड़न और चलने-फिरने में कठिनाई होती है। आयुर्वेद में इसे "आमवात" कहा जाता है। यह समस्या मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन और शरीर में विषाक्त पदार्थों (आम) के इकट्ठा होने के कारण होती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राकृतिक तरीकों, जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव के जरिए गठिया का उपचार करती है। गठिया के कारण (Causes) आयुर्वेद के अनुसार गठिया के प्रमुख कारण हैं: •वात दोष का असंतुलन – ठंडी, शुष्क और अस्थिर प्रकृति के कारण वात बढ़ता है। •अमलकारी पदार्थों का सेवन – तली-भुनी, मसालेदार और खट्टी चीज़ें आम बढ़ाती हैं। •पाचन तंत्र की कमजोरी – अपच से बनने वाला आम (विषाक्त पदार्थ) जोड़ों में जमा होकर सूजन और दर्द पैदा करता है। •गलत जीवनशैली – देर रात तक जागना, अनियमित खान-पान और व्यायाम की कमी। लक्षण (Symptoms) जोड़ों में दर्द और सूजन सुबह के समय जकड़न चलने-फिरने में कठिनाई हल्का बुखार और थकान जोड़ों में लालिमा और गर्माहट आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Tr...

जिंक (Zn) /एंजाइम की संरचना/शरीर में संतुलित मात्रा में जिंक zinc usse in Ayurveda

  जिंक (Zn) एक कोफैक्टर (cofactor) के रूप में एंजाइमों के साथ काम करता है, जो उनके कार्यों को सक्रिय और नियंत्रित करता है। यह विभिन्न एंजाइमों की क्रियाओं में सहायता करता है, जिनका शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहाँ बताया गया है कि जिंक कैसे एंजाइमों की मदद करता है: 1. एंजाइम की संरचना को स्थिर बनाना: जिंक एंजाइम की संरचना को स्थिर और कार्यशील बनाए रखने में मदद करता है। यह एंजाइम को सही आकार में बनाए रखता है ताकि वे अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक कर सकें। 2. एंजाइम की सक्रियता बढ़ाना: जिंक एंजाइम के सक्रिय केंद्र (active site) में उपस्थित होकर रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करता है। यह सब्सट्रेट (substrate) को एंजाइम से सही ढंग से जुड़ने में मदद करता है। 3. विशेष एंजाइमों के साथ कार्य: जिंक कई महत्वपूर्ण एंजाइमों की क्रिया में सहायक होता है: कार्बोनिक एनहाइड्रेज (Carbonic Anhydrase): यह एंजाइम कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को बाइकार्बोनेट में परिवर्तित करता है, जो शरीर के एसिड-बेस बैलेंस को बनाए रखता है। डीएनए और आरएनए पॉलीमरेज़: ये एंजाइम डीएनए और आरएनए के संश्लेषण के लिए आवश्यक है...